अदालत ने इस सिलसिले में विधानसभा अध्यक्ष, परिषद के अध्यक्ष, विधानसभा सचिव और चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी किया।
कांग्रेस नेताओं ने अपनी अलग-अलग याचिकाओं में कांग्रेस विधायकों के विधानसभा और विधान परिषद में टीआरएस के साथ विलय को चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई खंडपीठ ने चार हफ्तों के लिए टाल दी।
नोटिस विधानसभा के दस सदस्यों और विधान परिषद के चार सदस्यों को जारी किया गया।
विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लू भाटी विक्रमार्का और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने विधानसभा में कांग्रेस विधायकों के विलय को चुनौती दी थी। वहीं वरिष्ठ नेता मोहम्मद अली शब्बीर ने परिषद के अध्यक्ष द्वारा पार्टी विधायकों के टीआरएस में विलय करने के खिलाफ चुनौती दी थी।
ये याचिकाएं विक्रमार्का और रेड्डी ने अप्रैल में दायर की थी। इनलोगों ने अदालत से विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीनिवास रेड्डी को पार्टी के पक्ष को सुने बिना कांग्रेस विधायकों के टीआरएस में विलय करने की इजाजत नहीं देने के लिए आदेश देने की मांग की थी।
उन्होंने यह भी शिकायत की कि अध्यक्ष ने दलबदलुओं को अयोग्य साबित करने की उनकी याचिकाओं पर कोई कार्रवाई नहीं की।
अध्यक्ष ने 6 जून को 12 कांग्रेस विधायकों को टीआरएस में विलय की अनुमति दे दी, कांग्रेस नेताओं ने विलय की वैधता को लेकर एक नई याचिका दाखिल की। इस याचिका पर संभवत: बुधवार को सुनवाई होगी।
हालांकि पहले की याचिका पर सुनवाई करते हुए, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति शमीम अख्तर की खंडपीठ ने 10 विधायकों, विधानसभा सचिव और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।
शब्बीर की याचिका के आधार पर अदालत ने चार एमएलसी, परिषद के अध्यक्ष, विधानसभा सचिव और चुनाव आयोग के खिलाफ नोटिस जारी किया।
–आईएएनएस