मुंबई : लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित महाराष्ट्र में विपक्ष को अब एक और बड़ी चुनावी चुनौती विधानसभा चुनाव का सामना करना है।
अक्टूबर में होने वाले चुनाव में विपक्ष किसी तरह से टिकने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है और अपने प्रतिद्वंद्वियों का सामना करने की तैयारी कर रहा है।
राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को क्रमश: एक और चार सीटें मिली हैं।
दोनों पार्टियों के सामने अगली बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिवसेना गठबंधन से संयुक्त रूप से विधानसभा का चुनाव लड़ने की है।
आम चुनाव के नतीजे घोषित होने के साथ ही दोनों पक्षों ने 288 सीटों वाली विधानसभा के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
कांग्रेस के राज्य प्रमुख अशोक चव्हाण और राकांपा प्रमुख शरद पवार जैसे नेता कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष (परिषद) धनंजय मुंडे ने चुनाव की तैयारियों के बीच एक कविता भी लिखी है: बस तू लड़ना मत छोड़ना।
कांग्रेस-राकांपा दोनों ही पार्टियों को सबसे पहले अपने बचे हुए नेताओं को सत्ता पक्ष में शामिल होने से बचाने की जरूरत है।
पूर्व कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे-पाटील के बेटे सुजय विखे-पाटील विपक्षी खेमा छोड़ने वालों में सबसे प्रमुख हैं, जिन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। और अब पिता भी पुत्र के पदचिन्हों पर चल कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
ठीक इसी तरह राकांपा के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री रहे विजय सिंह मोहिते पाटील के पुत्र रंजीत सिंह मोहिते पाटील भाजपा में जा मिले हैं और अब उनके पिता भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
यह कहने की जरूरत नहीं कि सत्ता की ललक ने विपक्षी खेमे में कई लोगों को लालची बना दिया है, और आने वाले सप्ताहों में कई लोगों के कांग्रेस-राकांपा छोड़ कर भाजपा-शिवसेना में शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
दूसरा मुद्दा विभिन्न गठबंधनों को मजबूत करने का है, क्योंकि 56 दलों का गठबंधन भाजपा की 56 इंच की छाती के आगे फेल हो गया है, जैसा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था।
कांग्रेस-राकांपा ने वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के गठबंधन घटक प्रकाश आंबेडकर के भारिपा बहुजन महासंघ (बीबीएम) और ओवैसी बंधुओं की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को निमंत्रण भेजा है।
कांग्रेस-राकांपा ने अपनी समीक्षा में यह महसूस किया कि वीबीए ने 15 से अधिक सीटों पर उन्हें हराने में प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि आंबेडर इस आरोप को खारिज करते हैं।
अन्य लोगों में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे को विपक्षी खेमे में शामिल होने के लिए अब आधिकारिक तौर पर आकर्षित किया जा रहा है। लेकिन आक्रामक अभियान चलाने वाले राज ठाकरे फिलहाल अपने विकल्पों का खुलासा नहीं कर रहे हैं।
पवार ने पिछले सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से नई दिल्ली में मुलाकात की थी। इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों पार्टियों का आपस में विलय हो जाएगा, लेकिन राकांपा ने इसे अफवाह बताया।
इधर, भाजपा-सेना ने विपक्ष को आगे भी पटखनी देने के लिए विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
चूंकि सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्याकाल में मंत्रिमंडल में सिर्फ एक मंत्री पद मिलने और पुराना विभाग (भारी उद्योग) देने से कथित तौर पर नाराज हैं, लिहाजा भाजपा इसकी भरपाई राज्य स्तर पर करने की योजना बना रही है।
ठाकरे-फडणवीस के बीच महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है, और इसमें सेना से कुछ और मंत्री शामिल किए जा सकते हैं, ताकि दोनों चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर उतर सकें।
फडणवीस ने पूरे आत्मविश्वास के साथ घोषणा भी की है कि भाजपा-सेना गठबंधन राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से 220 पर जीत हासिल करेगा।