प्रदीप शर्मा
महाराष्ट्र के सियासी घमासान के मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. तीन जजों की बेंच ने कहा कि इस पर मंगलवार सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से राज्यपाल की चिट्ठी और समर्थन वाली चिट्ठी मांगी थी. इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने दोनों खत पेश कर दिए. सुप्रीम कोर्ट में अजित पवार के समर्थन वाला खत पेश किया गया. 54 विधायकों के समर्थन पत्र में कहा गया कि हम महाराष्ट्र में ज्यादा समय तक राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते. हम राज्य में स्थायी सरकार चाहते हैं. इसलिए हम फडणवीस को सरकार बनाने के लिए समर्थन देते हैं।
बता दें, शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर जबकि अजित पवार ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया और तत्काल सुनवाई करने की मांग की. उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने मामले की सुनवाई के लिए रविवार का दिन मुकर्रर किया. इससे एक दिन पहले एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने मिलकर सरकार बनाने का ऐलान किया था।
23 नवंबर शनिवार को सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया. फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर जबकि अजित पवार ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया और तत्काल सुनवाई करने की मांग की. उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने मामले की सुनवाई के लिए रविवार का दिन मुकर्रर किया।
24 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी करते हुए रविवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश करने वाली चिठ्ठी सोमवार की सुबह तक अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।