नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि देश में कुछ परिवार राजनीतिक परिदृश्य पर हावी हो रहे हैं, जिससे संविधान का बुनियादी आधार बिगाड़ रहा है।
यह जनहित याचिका अरविंद कुमार नाम के व्यक्ति ने अपने वकील सेतु शर्मा के माध्यम से दाखिल की थी।
याचिका में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), समाजवादी पार्टी (सपा), बीजू जनता दल (बीजद), द्रमुक और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) सहित कई राजनीतिक दलों का जिक्र था।
याचिका में आरोप लगाया कि भारत में राजनीतिक दलों के ढांचों को प्रजातांत्रिक बनाने के लिए होने वाले अंतर पार्टी चुनाव की प्रक्रिया के नियमन के लिए कानून बनाने में संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता से देश कुछ परिवारों की जागीर बन गया है।
याचिका में कहा गया, अधिकतर राजनीतिक दलों की मौजूदा कार्यप्रणाली भारतीय संविधान के बुनियादी स्वरूप, कानून के नियमों, लोकतंत्र, समानता और बन्धुत्व के सिद्धांत का उल्लंघन करती है।
याचिका के मुताबिक, यहां कुछ महिलाएं/पुरुष/परिवार राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य पर हावी हो रहे हैं, जिससे संविधान का बुनियादी आधार बिगड़ रहा है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसी) को दलों के आंतरिक चुनाव की निगरानी व प्रबंधन करने का निर्देश देने की मांग की थी।
उन्होंने अदालत से केंद्र सरकार को संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए भारत के विधि आयोग के साथ मिलकर काम करने और सभी राजनीतिक दलों के भीतर अंतर-पार्टी लोकतंत्र लाने के लिए निर्देश देने की भी मांग की थी।
याचिका में अदालत से अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि किसी भी व्यक्ति या परिवार को पांच साल से अधिक समय तक पार्टी में मुख्य पद पर रहने की अनुमति न दी जाए।