चेन्नई : तमिलनाडु में फसल कटाई का पर्व पोंगल मंगलवार को पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया। पूरे राज्य में लोग जल्दी उठ गए और नए कपड़े पहनकर मंदिरों में जाकर विशेष पूजा अर्चना की । जब उत्सव के विशेष पकवान चकरई पोंगल बनाते समय दूध उबलकर बर्तन के ऊपर आ गया तो शुभ मुहूर्त पर घरों में, बच्चों ने जोर-जोर से पोंगलो पोंगल, पोंगोलो पोंगल बोलते हुए छोटे से ढोल को बजाना शुरू कर दिया।
कुछ घरों में, औपचारिक तौर पर पहले शंख फूंके जाते हैं। जब दूध उबलता है, तो अन्य सामग्री जैसे चावल, गुड़, दाल को दूध में मिलाया जाता है और अंत में घी, तले हुए काजू, बादाम और इलायची भी डाले जाते हैं। मिट्टी का बर्तन या स्टेनलेस स्टील के बर्तन जिसमें पकवान पकाया जाता है उस पर अदरक, हल्दी, गन्ने का टुकड़ा और केला बांधकर उसे सजाया जाता है।
पोंगल पकवान सूर्य देव को धन्यवाद के रूप में भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में खाया जाता है। लोगों ने अपने पड़ोसियों को शुभकामनाएं देते हुए एक-दूसरे को चकरई पोंगल भेंट में दिया। पोंगल उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है, पहला दिन भोगी होता है, जो सोमवार को था, जब लोग अपने पुराने कपड़े, चटाई और अन्य सामान जलाते हैं। घरों में नए सिरे से रंगाई-पुताई की जाती है।
दूसरा दिन तमिल महीने के पहले दिन, थाई को मनाया जाने वाला मुख्य पर्व है। तीसरा दिन मट्टू पोंगल है, जब बैल और गायों को नहलाया जाता है और उनके सींगों को रंगा जाता है और उनकी पूजा की जाती है क्योंकि वे खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महिलाएं पक्षियों को रंगीन चावल खिलाती हैं और अपने भाइयों के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। राज्य के कुछ हिस्सों में, सांड को काबू करने के खेल जल्लीकट्टू का आयोजन होता है। चौथा दिन कन्नम पोंगल है। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते-जुलते हैं।