प्रदीप शर्मा
संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार ने नागरिकता कानून को बनाकर गांधी जी की इच्छा को पूरा किया है. हालांकि नागरिकता कानून का जिक्र होते ही संसद में विपक्षी दलों ने इसका विरोध भी जताया. राष्ट्रपति ने बिना रुके कहा, ‘मेरी सरकार यह पुन: स्पष्ट करती है कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं’. राष्ट्रपति ने कहा, ‘विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख जो वहां नहीं रहना चाहते हैं आ सकते हैं. उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है। पूज्य बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया है। हमारे राष्ट्र निर्माताओं को उस इच्छा का सम्मान दायित्व है. मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, उनकी इच्छा को पूरा किया गया है’.
इससे पहले राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार का जिक्र करते हुए कहा कि वह पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए, विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह करते हैं. उन्होंनें हाल ही में हुए ननकाना साहिब की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह दायित्व है कि पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार से पूरा विश्व परिचित हो।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि पांच दशकों से चली आ रही बोडो समस्या को समाप्त करने के लिए केंद्र और असम सरकार ने हाल ही में बोडो संगठनों के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है. इस समझौते से, ऐसी जटिल समस्या, जिसमें 4 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई, उसका समाधान निकला है।