नई दिल्ली : आम चुनावों से पहले सरकार को राहत पहुंचाते हुए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 59,000 करोड़ रुपये के विवादास्पद राफेल सौदे पर आई बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा 2016 में 36 लड़ाकू विमानों के लिए हस्ताक्षरित सौदे की कीमत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा प्रस्तावित कीमत से 2.86 फीसदी कम है, लेकिन यह पाया गया है कि वर्तमान पूंजी अधिग्रहण प्रणाली भारतीय वायु सेना को प्रभावी ढंग से मदद करने में सक्षम नहीं है।
इस रिपोर्ट में हालांकि मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) सौदे के विवादास्पद ऑफसेट खंड की चर्चा नहीं की गई है। इस रिपोर्ट में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के मूल्य की जांच की गई है, लेकिन वास्तविक मूल्य का खुलासा नहीं किया गया है।
माना जा रहा है कि राफेल सौदा 59,000 करोड़ रुपये में किया गया है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर राफेल सौदे में घोटाले का आरोप लगा कर हमला किया जा रहा है, ऐसे में सीएजी की इस रिपोर्ट से सरकार को राहत मिली है। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल सरकार को क्लिन चिट दी थी।
संसद के पटल पर बुधवार को रखी गई कैपिटल एक्वीजिशन ऑन इंडियन एयर फोर्स रिपोर्ट में सीएजी ने कहा, कुल मिलाकर इसे इस रूप में देखा जा सकता है कि सीवी मिलियर यूरो के ऑडिट के जरिए अनुमानित संरेखित कीमत के मुकाबले यह अनुबंध यू मिलियन यूरो पर हुआ, यानी ऑडिट संरेखित मूल्य से यह 2.86 फीसदी कम है।
रिपोर्ट में ऑडिट के निष्कर्ष शामिल हैं, जो फ्रांस की सरकार के साथ आईजीए के जरिए मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के अधिग्रहण से जुड़े हैं। इसमें कीमत की जांच भी शामिल है।
कीमतों की तुलना के तौर-तरीके पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय लेखापरीक्षक ने कहा है कि मेसर्स दसॉ एविएशन द्वारा अप्रैल 2008 में 2007 के रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) पर पेश की कई कीमत बाजार की कीमत थी और यह प्रतिस्पर्धी बोली पर आधारित थी।
साल 2007 के मूल्य प्रस्तावों में दो अलग-अलग पैकेज थे। इसमें 18 विमानों की कीमत व 108 विमानों का टीओटी पैकेज शामिल था, जिसके भारत में उत्पादन का लाइसेंस भी था।
सीएजी ने कहा कि दूसरी तरफ 2015 के प्रस्ताव में सिर्फ 36 लड़ाकू विमान शामिल थे। 2007 व 2015 के अधिग्रहण व कीमत की बोलियों में बहुत ज्यादा अंतर था। बाद वाले प्रस्ताव 2015 में भारत में 108 विमानों के उत्पादन के लिए लाइसेंस के टीओटी की कीमत शामिल है, जो 2007 की कुल कीमत की बोली का 77.8 फीसदी था।
2007 और 2015 की मूल्य बोलियों के तुलनात्मक विश्लेषण में सीएजी ने कहा, आईएनटी द्वारा तैयार संरेखित कीमत यू1 मिलियन यूरो थी, जबकि लेखापरीक्षा द्वारा मूल्यांकन की गई कीमत संरेखित कीमत सीवी मिलियन यूरो थी, जो कि आईएनटी से संरेखित लागत से 1.23 फीसदी कम थी।
सीएजी की रिपोर्ट में कह गया कि आईएनटी द्वारा अनुमानित संरेखित कीमत और लेखापरीक्षा द्वारा मूल्यांकित कीमत के बीच के अंतर को आईएनटी द्वारा अपना गए असंगत मूल्य भिन्नता कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, दोनों प्रस्तावों की मात्रा/दायरे के देखते हुए इसके संरेखन में भी कठिनाई है।
इस सौदे में छह अलग-अलग पैकेज हैं जिसमें फ्लाईअवे एयरक्राफ्ट पैकेज, मेंटनेंस पैकेज, विशिष्ट भारतअनुकूल उन्नयन, वेपन पैकेज, एसोसिएट सेवाएं और सिमुलेटर पैकेज शामिल है। इस छह पैकेज के अंतर्गत कुल 14 सामान हैं।
हरेक सामान के कीमत का विश्लेषण करने से पता चलता है कि सात सामानों के अनुबंधित मूल्य संरेखित मूल्य से अधिक थे, जबकि तीन का समान था और चार का कम था। इसके अलावा एलीमेंट्स की कीमतों की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि दसॉ की 2007 की बोली का स्ट्रक्चर/फॉर्मेट 2015 के बोली के स्ट्रक्चर/फॉर्मेट से अलग थी।