प्रदीप शर्मा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज रेलवे के निजीकरण के अपने पहले कदम पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सुझाव दिया कि जनता इस कदम के लिए उसे माफ नहीं करेगी. सरकार ने आज रेल गाड़ियों के निजीकरण का पहला कदम उठाया है, जिसमें निजी कंपनियों से यात्री ट्रेन चलाने के प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं. मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार, निजी फर्म रेलगाड़ियों को 35 वर्षों तक चला सकती हैं. रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस प्रस्ताव में 109 मार्गों पर 151 ट्रेनें चलाने की योजना है, जो 30,000 करोड़ रुपये के निजी निवेश की मांग करेगी।
दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क जो लगभग 13,000 ट्रेनों में चलता है, रेलवे लगभग 12 लाख लोगों को रोजगार देता है. यात्री सेवाओं का एक हिस्सा सब्सिडी पर चलता है जो कि इन वर्षों में बड़े नुकसान की वजह बना और जिसे मंत्रालय को पुन: प्राप्त करने में असमर्थ रहा है।
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के इस कदम पर ट्वीट कर लिखा, ‘रेल गरीबों की एकमात्र जीवनरेखा है और सरकार उनसे ये भी छीन रही है. जो छीनना है, छीनिए, लेकिन याद रहे, देश की जनता इसका करारा जवाब देगी’
रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारतीय रेल नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए निजी निवेश की यह पहली पहल है”इसका उद्देश्य, “कम रखरखाव के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी रोलिंग स्टॉक शुरू करें, कम पारगमन समय, नौकरी सृजन को बढ़ावा देना, बेहतर सुरक्षा प्रदान करना, यात्रियों को विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करना, और यात्री परिवहन क्षेत्र में मांग की आपूर्ति की कमी को भी कम करना है.”