नई दिल्ली : ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के सदस्यों के शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच बुधवार को राज्यसभा दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
अन्नाद्रमुक और द्रमुक के उत्तेजित सदस्यों को सभापति ने सदन से बाहर जाने का आदेश दिया, लेकिन आदेश की उपेक्षा कर भोजनावकाश के बाद कार्यवाही में वे सभापति के आसन के पास डटे रहे।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्रवाई के नियम 256 के तहत उत्तेजित सदस्यों का नाम लेकर उनको सदन से बाहर जाने को कहा। इससे पहले शांति बनाए रखने की सभापति की कई अपीलों का कोई असर नहीं हुआ और सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा।
सभापति ने कहा, आप कार्रवाई करने के लिए मुझे बाध्य कर रहे हैं। मैं इन सदस्यों का नाम लेने को बाध्य हूं।
नायडू ने अन्नाद्रमुक के ए. नवनीतकृष्णन, मुथुकरुप्पन, गोकुलाकृष्णन, विजिला सत्यनाथ, ए. सेल्वाराज, आर. लक्ष्मणन, एस.आर. बालासुब्रह्मनियम और वी. विजयकुमार के साथ-साथ द्रमुक के आर. एस. भारती, तिरुचि शिवा, कनिमोझी और टी.के.एस. एलानगोवन का नाम लिया।
उन्होंने कहा, सदन की परंपरा और रीति के अनुसार, इन सभी सदस्यों को तुरंत सदन से बाहर जाने का सुझाव देता हूं। इसके बाद उन्होंने 15 मिनट के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
इसके बाद अपरान्ह 2.28 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो जिन सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा गया था वे टस से मस नहीं हुए और सभापति के आसन के पास आकर नारेबाजी करते रहे।
तमिलनाडु के सांसद कर्नाटक में कावेरी नदी पर प्रस्तावित मेकेदातु बांध के निर्माण का विरोध कर रहे हैं।
सदन की अध्यक्षता कर रहे उपसभापति हरिवंश ने भी नायडू द्वारा नाम लिए गए सदस्यों से सदन से बाहर जाने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया। इसके आद हरिवंश ने अपरान्ह तीन बजे तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
सदन की कार्यवाही अपराह्न् तीन बजे जैसे ही शुरू हुई स्थिति जस की तस बनी रही और अन्नाद्रमुक और द्रमुक सदस्य सदन में जोर-जोर से नारेबाजी करते रहे।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने मेकेदातु बांध पर एक बयान देने का प्रस्ताव किया है लेकिन हंगामा कर रहे सदस्य उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हुए।
गोयल ने कहा, यह एक ऐसा बयान है जिससे सभी सदस्य संतुष्ट होते, लेकिन कुछ सदस्यों ने गडकरी जी को बोलने नहीं दिया। सरकार संसद में सभी मसलों पर बातचीत करने को तैयार है।
शोरशराबे के बीच सदन दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में 19 दिसंबर 2018 को की गई राष्ट्रपति शासन की घोषणा को मंजूरी प्रदान करने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया।
राजनाथ सिंह ने शोरशराबे के बीच मसले पर संक्षिप्त बयान दिया, लेकिन प्रस्ताव पर बातचीत नहीं हो पाई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद इस मसले पर बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन शोरगुल के कारण वह बोल नहीं पाए।
सुबह में भी अन्नाद्रमुक सदस्यों की नारेबाजी के बीच सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा।
सभापति नायडू ने शून्य काल का संचालन करने की कोशिश की लेकिन हंगामा नहीं थमा तो उन्होंने 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।
कार्यवाही जब पूर्वाह्न 11.40 बजे दोबारा शुरू हुई तो फिर हंगामा होने लगा और दोपहर 12 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल शुरू होते ही फिर से सांसद हंगामा और नारेबाजी करने लगे। सभापति ने फिर अपरान्ह दो बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।