मुंबई : एक चौंकाने वाले कदम में आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ने गुरुवार को वाणिज्यिक बैंकों के लिए प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की, जिससे यह 6.25 फीसदी हो गया है। इसके अतिरिक्त शीर्ष बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख नपी-तुली कठोरता से बदल कर तटस्थ कर दिया है।
आरबीआई ने यह कदम तरलता के संकट से निपटने के लिए उठाया है, जिससे चुनावी साल में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर को 6 फीसदी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर को 6.5 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, निवेश गतिविधियां फिर से जोर पकड़ रही है. लेकिन जरूरत निजी निवेश गतिविधियां और निजी उपभोग को मजबूत करने की है।
दास ने कहा कि आरबीआई के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह विकास दर को बढ़ावा देने के लिए समयबद्ध तरीके से काम करे, खासतौर से यह देखते हुए कि मुद्रास्फीति के नरम रहने के बावजूद निवेश मांग में कमी बनी हुई है।
आरबीआई ने इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई), या खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को आगामी तिमाही के लिए संशोधित कर 2.8 फीसदी कर दिया है, जबकि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसके 3.2-3.4 फीसदी और वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में 3.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
केंद्रीय बैंक ने अनुमान लगाया है कि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर अप्रैल से शुरू होनेवाले अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 7.2-7.4 फीसदी के रेंज में रहेगी और तीसरी तिमाही में 7.5 फीसदी रहेगी।
आरबीआई द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में की गई कटौती के बाद बीएसई सेंसेक्स इंट्राडे कारोबार में 200 अंक बढ़कर 37,172.18 अंकों की ऊंचाई तक पहुंग गया, जबकि निफ्टी 52.85 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 11,115.30 पर कारोबार कर रहा था।
ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील वाहन और रियल्टी कंपनियों के शेयरों में करीब 1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। प्रमुख बैंकों के शेयरों में आधी फीसदी की तेजी देखी गई, क्योंकि प्रमुख ब्याज दरों में कटौती से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और इससे बैंकों का कारोबार बढ़ेगा।
आरबीआई ने कहा कि नवंबर में औद्योगिकी गतिविधियों में मंदी दर्ज की गई और दिसंबर में प्रमुख उद्योगों के विकास दर में गिरावट रही। आरबीआई ने यह भी संज्ञान में लिया कि जनवरी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की आमद नकारात्मक रही।
शीर्ष बैंक ने बयान में कहा कि केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति में बदलाव का फैसला सर्वसम्मति से किया, जबकि एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) के दो सदस्य चेतन घाटगे और आरबीआई के उप-गर्वनर विरल आचार्य ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने के लिए वोट दिया।