नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि उन्होंने बैंकिंग की स्थिति का जायजा लिया और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) द्वारा बुलाई गई बैंकों की बैठक में अपनी उम्मीदें साझा की।दास ने कहा कि डीएफएस की बैंकों के साथ आवधिक समीक्षा बैठक में उन्होंने विशेष रूप से सामान्य और सरकारी बैंकों (पीएसबी) की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए हिस्सा लिया।
दास ने कहा, डीएफएस की समय-समय पर बैठकें होती रहती हैं..इस बैठक में शामिल होने का मूल विचार यह था कि सामान्य और खासतौर से पीएसबी बैंकों को यह बताया जाए कि नियामक की उनसे क्या उम्मीदें हैं। दास ने आगे कहा, साथ ही बैंकिंग क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और भविष्य को लेकर उनके दृष्टिकोण को समझने के लिए मैंने इस बैठक में भाग लिया।
दिन भर चलने वाली इस बैठक की अध्यक्षता डीएफएस के सचिव राजीव कुमार कर रहे हैं, जिसमें सभी 20 सरकारी बैंकों के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। अंतरिम बजट महज चार दिन बाद आनेवाला है। ऐसे में इस बैठक का काफी महत्व है, क्योंकि सरकार के लोकसभा चुनाव में शामिल होने से पहले यह सरकारी बैंकों की आखिरी बैठक हो सकती है।
बैंकिंग क्षेत्र को उच्च गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का प्रबंधन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण आधे सरकारी बैंकों को आरबीआई के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) ढांचे के तहत रखा गया है, जिसके कारण वे सामान्य ऋण देने वाले व्यवसाय नहीं कर पाते।
पीसीए ढांचे से बाहर निकलने में मदद करने के लिए सरकार कुछ तुलनात्मक रूप से स्वस्थ बैंकों के पुनर्पूंजीकरण सहित कई उपाय लागू कर रही है। सरकार ने संकेत दिया है कि चार-पांच बैंक जल्द ही पीसीए से बाहर हो सकते हैं। सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था में तरलता की स्थिति सुधारने की दिशा में इन बैंकों का योगदान फिर से शुरू हो।
आईएलएंडएफएस लि. और उसकी सहयोगी कंपनियों के पिछले साल अपने कुछ कर्ज चुकाने से चूक जाने के बाद से ही अर्थव्यवस्था में तरलता का संकट बरकरार है।