संयुक्त राष्ट्र : महिलाओं के समान अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र का मौलिक रुख सभी धर्मो के लिए लागू होता है और जब से सर्वोच्च न्यायालय ने सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश का अधिकार दिया है, विश्व निकाय कानून के शासन का सम्मान करता है। यहां एक अधिकारी ने यह बात कही।
सबरीमाला विवाद पर एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उपप्रवक्ता फरहान हक ने कहा, सभी के लिए समान अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के रुख से आप अवगत हैं।
एक अन्य पत्रकार द्वारा केरल में दो महिलाओं के अयप्पा मंदिर में प्रवेश पर मचे बवाल और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अंडर-सेक्रेटरी-जनरल शशि थरूर द्वारा महिलाओं की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर हक ने कहा, यह एक मुद्दा है, जिस पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है। इसलिए, हमें इस मामले को भारत के कानून के शासन के हाथों में छोड़ देना चाहिए। बिल्कुल, हम चाहते हैं कि सभी पक्ष कानून का सम्मान करें।
यह पूछे जाने पर कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं देना क्या मानवाधिकार का उल्लंघन है? हक ने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा, हम सभी को देश के काननू का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर 2018 में 10 से लेकर 50 वर्ष की महिलाओं के भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश करने पर लगी रोक हटा दी थी।