लोकराज डेस्क
CBI में आंतरिक गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे सकारात्मक बताया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जिस एजेंसी पर भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा है उसी के दो टॉप अधिकारियों पर आरोप लगा है। उन्होंने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले का एकबार फिर बचाव किया। जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस की मॉनिटरिंग में होने वाली सीवीसी जांच से सच सामने आ जाएगा। जेटली ने सीबीआई विवाद के संबंध में साफ किया केंद्र सरकार का किसी खास व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है।
वित्त मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘आज जो सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है वह एक बहुत सकारात्मक कदम है। एक विवाद है कि एक ही केस में एजेंसी के निदेशक का एक मत और विशेष निदेशक का दूसरा मत है। वह एजेंसी जो करप्शन की जांच करती है उसी के दो बड़े अधिकारियों पर आरोप लगे तो उसकी जांच महत्वपूर्ण हो जाती है। सीवीसी के सामने सीबीआई अकाउंटेबल है। इसपर सीवीसी ने फैसला दिया (अफसरों को छुट्टी पर भेजने का) जिसे सरकार ने स्वीकार किया। ऐसा करना पारदर्शिता, शुचिता को बचाए रखने के लिए जरूरी था। सुप्रीम कोर्ट ने जो दो चीजें जोड़ीं, वह इसी को मजबूत करता है।’
जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्तों में जांच और रिटायर्ड जस्टिस के सुपरविजन का आदेश देकर सरकार के शुचिता के प्रयास को मजबूती देने का काम किया है। जेटली ने कहा कि हालिया विवाद में यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार का किसी भी खास व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है। जेटली ने कहा कि हमारी सरकार प्रफेशनलिज्म और संवैधानिक अखंडता को बरकरार रखने के लिए काम कर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ‘सीवीसी जांच से सच सामने आ जाएगा। देशहित में है कि सच सामने आए। हमारा देश यह अफॉर्ड नहीं कर सकता है कि भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसी के दो बड़े अधिकारी खुद जांच के घेरे में आ जाएं।’
गौरतलब है कि सीबीआई में अंदरखाने का विवाद सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया था। इस फैसले के खिलाफ सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वर्मा ने दलील दी थी कि सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल का होता है और उन्हें उस पद से हटाने की सरकार की कार्रवाई से सीबीआई की स्वतंत्रता पर आघात हुआ है। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया।