संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष मारिया फर्नांडीस एस्पिनोसा ने लंबे समय से अटकी सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को बेहद विभाजनकारी और विवादास्पद करार दिया है।
उन्होंने कहा कि सुधार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सुरक्षा परिषद को जीरो सम गेम की स्थिति से बचना होगा (ऐसी स्थिति जिसमें किसी की हार से ही किसी अन्य की जीत हो)।
मारिया ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि परिषद के सुधार के लिए अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) के सह-अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात की स्थायी प्रतिनिधि लाना जाकी नुसेबेह और लक्जमबर्ग के स्थायी प्रतिनिधि क्रिस्टियन ब्रॉन, जिन्हें उन्होंने नियुक्त किया था, दोनों काफी प्रयास कर रहे हैं और वे सभी सदस्य देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं और विभिन्न रुखों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं कि जीरो सम गेम की स्थिति से बचने के लिए हम इस मुद्दे से कैसे निपट सकते हैं।
एस्पिनोसा ने एक प्रश्न को दरकिनार कर दिया कि क्या उन्हें भारत के परिषद का स्थायी सदस्य बनने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, यह सही है कि 10 साल के आईजीएन के बाद लोग अधीर हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों के एकजुट होकर काम करने से जुड़ी चुनौती के बारे में उन्होंने कहा, यह कोई आसान काम नहीं है। मैं आपके साथ खुलकर बात करना चाहती हूं। यह एक बहुत विभाजनकारी और विवादास्पद है।
उन्होंने कहा, यह काफी हद तक सदस्य देशों द्वारा संचालित की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसमें सदस्य देशों को ही सुधार के बारे में फैसला लेना है।
उन्होंने कहा, अध्यक्ष के तौर पर मेरी भूमिका साथ देना, नेतृत्व करना है, यह सुनिश्चित करना है कि प्रक्रिया जारी रहे, समावेशी हो और पारदर्शी हो।
हालांकि, सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया जल्द होती नजर नहीं आ रही, मारिया ने कहा कि इस बीच कई ऐसी चीजें हैं जो परिषद के कामकाज में सुधार के लिए की जा सकती हैं।
परिषद के 10 गैर-स्थायी सदस्य पहले से ही काम के तरीकों में सुधार और परिषद की पारदर्शिता को बढ़ाकर इस दिशा में काम कर रहे हैं।