बाइदुरजो बोस
मैनचेस्टर : जब तक परिणाम आपके पक्ष में आ रहे होते हैं तब तक आप सवालों से बचते रहते हैं। लेकिन अब भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री और कोचिंग स्टाफ को कड़े सवालों का सामना करना पड़ेगा।
यह देखना अब दिलचस्प होगा कि कोच बुधवार को न्यूजीलैंड के हाथों विश्व कप सेमीफाइनल में मिली हार के बाद क्या रुख अख्तियार करते हैं और मध्य क्रम की विफलता के बारे में क्या कहते हैं जो ओल्ड ट्रेफर्ड में विराट कोहली और रोहित शर्मा की विफलता के बाद एक बार फिर ढह गया।
इस विश्व कप में भारतीय टीम प्रबंधन ने सवाल पूछने वाली मीडिया को अपने से दूर ही रखा।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए विश्व कप के पहले मैच से पहले टीम ने नेट गेंदबाजों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भेजा। इस बात के पीछे तर्क दिया गया कि आवेश खान और दीपक चाहर से यह उनका अनुभव जानने का सही समय है।
इस बात पर मीडिया ने कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार करने का फैसला किया। कागजों पर इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह किसी चाल थी लेकिन भारतीय टीम द्वारा मीडिया से दूरा बनाए रखना का रुख किसी से छुपा नहीं है।
जो भी सवाल पूछा जाता है उसका जवाब घुमा फिरा कर दिया जाता है। लेकिन अब सवाल यह है कि जब समस्या सभी को सामने दिख रही थी तब उसे नजरअंदाज कर क्या टीम प्रबंधन कुछ बुरा होने का इंतजार कर रहा था?
रोहित शर्मा, विराट कोहली और लोकेश राहुल के अलावा और भारतीय बल्लेबाज रन नहीं कर सका। इस टीम के मध्य क्रम में दो ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें विश्व कप के लिए चुनी गई टीम में प्राथमिक खिलाड़ी का दर्जा तक प्राप्त नहीं था।
शिखर धवन के विश्व कप के बाहर होने के बाद ऋषभ पंत को टीम में बुलाया गया। टीम की घोषणा करते हुए मुख्य चयनकर्ता एम.एस. के. प्रसाद ने दिनेश कार्तिक को धोनी का विकल्प बताया था और कहा था कि उन्होंने कार्तिक को पंत के ऊपर तरजीह इसलिए दी है क्योंकि अगर धोनी को कुछ होता है तो कार्तिक के पास उनका स्थान लेने का अनुभव है।
कार्तिक और पंत दोनों को सेमीफाइनल में मौका मिला लेकिन दोनों बड़े मैच में विफल रहे।
साफ तौर पर वर्तमान में रहना भारतीय टीम के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। आस्ट्रेलिया में मिली सफलता के बात शास्त्री ने ही कहा था कि भारतीय टीम सर्वश्रेष्ठ टीम है। अब समय आ गया है कि कोच सामने आकर बताएं कि न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम क्यों विफल रही।
—