नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ऋषि कुमार शुक्ला को भ्रष्टाचार-रोधी काम के अनुभव के बगैर सरकार ने शनिवार को देश की शीर्ष जांच एजेंसी का प्रमुख चुन लिया, जिस पर कांग्रेस नेता मल्किार्जुन खड़गे ने असहमति जताई थी।
मध्य प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार द्वारा सिर्फ तीन दिन पहले डीजीपी पद से हटाकर राज्य के पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में भेजे गए शुक्ला (59) को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ पैदा हुए विवाद के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने के 20 दिनों बाद सीबीआई का नया निदेशक चुना गया है।
एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 के अनुच्छेद 4 ए(1) के तहत गठित समिति द्वारा अनुशंसित पैनल पर आधारित कैबिनेट की चयन समिति ने ऋषि कुमार शुक्ला को दो वर्ष के लिए सीबीआई निदेशक चुना।
सीबीआई प्रमुख का नाम तय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक के अगले दिन शुक्ला को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए सीबीआई प्रमुख चुना गया। सीबीआई प्रमुख चुनने के लिए समिति की पिछले नौ दिनों में दो बार बैठक हुई है। तीन सदस्यीय समिति में प्रधानमंत्री मोदी के अतिरिक्त भारत के मुख्य न्यायाधीश और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी थे।
मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में लगभग तीन साल तक डीजीपी रहे शुक्ला (59) ने अपने करियर के दौरान न कभी सीबीआई में काम किया और न राजकीय भ्रष्टाचार-रोधी विभाग में ही काम किया है।
शुक्ला अगस्त, 2020 में सेवानिवृत्त हो जाते, लेकिन सीबीआई प्रमुख बनने के बाद उनका कार्यकाल फरवरी, 2021 में खत्म होगा।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई के शीर्ष पद के लिए छांटे गए अंतिम पांच लोगों में से भी दो नाम चुने गए -उत्तर प्रदेश (यूपी) काडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव राय भटनागर और शुक्ला। और सरकार ने इसमें शुक्ला की वरिष्ठता को आधार मानते हुए उन्हें वरीयता दी।
खड़गे ने इसका विरोध करते हुए अपने असंतोष पत्र में कहा कि उच्चस्तरीय समिति की बैठक में तय मापदंडों को घटा दिया गया।
उन्होंने कहा, यह दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना अधिनियम के बिल्कुल खिलाफ होगा, जो स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार-रोधी मामले की जांच का उल्लेख करता है।
उन्होंने विनीत नारायण मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि समिति वरिष्ठता, ईमानदारी और अनुभव के आधार पर आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करेगा। डीएसपीई अधिनियम में इस बिंदु पर भी जोर दिया गया है।
समिति ने अपनी बैठक में वरिष्ठता, निश्चित कट-ऑफ से ऊपर एसीआर और जांच तथा भ्रष्टाचार-रोधी अभियानों में 100 महीनों या इससे ज्यादा के कुल अनुभव को तय किया था।
इसके बाद उन्होंने शुक्ला के अतिरिक्त छांटे गए पांच ऐसे अधिकारियों की सूची बनाई, जिनके पास भ्रष्टाचार-रोधी काम करने का अनुभव था। इन अधिकारियों में उप्र काडर के 1984 बैच के एस. जावेद अहमद, जिनके पास सर्वाधिक 303 महीनों का जांच अनुभव था, जिनमें 160 महीने भ्रष्टाचार-रोधी जांच से संबंधित था। भटनागर के पास 170 महीनों का जांच अनुभव था, जिनमें 25 महीनों का भ्रष्टाचार-रोधी अनुभव था।
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस बात पर सवाल किया था कि सीबीआई में एक अंतरिम निदेशक के साथ मौजूदा स्थिति कबतक बनी रहेगी।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने सरकार से कहा था कि सीबीआई निदेशक का पद संवेदनशील होता है और सरकार को अभी स्थायी निदेशक चुनना होगा।
सीबीआई प्रमुख के पद पर वर्मा को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बहाल किए जाने के बाद उच्चस्तरीय समिति ने 10 जनवरी को वर्मा को फिर से हटा दिया था। केंद्र सरकार ने उन्हें अग्निशमन, नागरिक सेवा और होम गार्ड का महानिदेशक नियुक्त किया था। उन्होंने इस पद को अस्वीकार कर दिया था।