लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने वाले विमान में नहीं चढ़ने देने को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जंग बुधवार को तेज हो गई। सपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया।
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राज्य की राजधानी स्थित व्यस्त रहने वाले इलाके हजरतगंज में प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने कहा कि अब वे मुख्यमंत्री की तानाशाही को राज्य को बर्बाद करने की इजाजत नहीं देंगे।
राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामा देखने को मिला, क्योंकि सत्तारूढ़ व विपक्षी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर आरोप लगाए।
प्रयागराज में कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज की निंदा करते हुए सपा विधायकों ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी राज्य में लोकतंत्र खत्म करने का प्रयास कर रही है। लाठी चार्ज में सपा लोकसभा सांसद धर्मेद्र यादव भी घायल हुए थे।
विधान परिषद की कार्यवाही शोरगुल के कारण तीन बार रोकी गई।
परिषद में विपक्ष के नेता अहमद हसन ने मोर्चा संभाला और कहा कि राज्य में एक तरफ लोग जहरीली शराब पीने के बाद मर रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार शराब माफिया को संरक्षण देने का प्रयास कर रही है और असहमति की आवाज दबाने में जुटी है।
उन्होंने कहा कि मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक छात्रसंघ के कार्यक्रम में अखिलेश यादव को जाने से रोकना लोकतंत्र की हत्या है। राज्य में आम लोगों का जीना दूभर हो गया है।
भाजपा नेताओं व विधायकों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सपा को अपनी अराजकतावादी मानसिकता से बाहर आना बाकी है और वह राज्य में कानून-व्यवस्था, शांति को बाधित करने का प्रयास कर रही है।
इससे पहले सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल राम नाईक से मिला और उन्हें मामले में हस्तक्षेप की मांग करने वाला एक ज्ञापन सौंपा।