नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) की विपक्षी एकता प्रगति पर है, लेकिन उन्हें लगता है कि दोनों दलों को उत्तर प्रदेश में अपने गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल कर लेना चाहिए, ताकि भाजपा का खेल खत्म हो जाए।
उन्हें यह भी लगता है कि अगर भाजपा के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार उतारने का विचार अभी तक सामने नहीं आया है तो इसे चुनाव के करीब अमल में लाया जा सकता है। सिन्हा ने विश्वास के साथ कहा कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन नहीं होता है तो भाजपा को किनारे करने के लिए राज्यों में गठबंधन होंगे।
उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बारे में उन्होंने आईएएनएस के साथ एक खास बातचीत में कहा, जी हां, बसपा और सपा को कांग्रेस को भी गठबंधन में जगह देनी चाहिए। इससे खेल खत्म हो जाएगा। उत्तर प्रदेश लोकसभा में 80 सांसद भेजता है।
पिछले साल भाजपा से इस्तीफा देकर गैर दलीय मंच राष्ट्र मंच गठन कर चुके सिन्हा ने कहा कि विपक्षी दलों को उनकी सलाह है कि उन्हें एक साथ आना चाहिए और एक मजबूत गठबंधन बनाना चाहिए। इसके अलावा दलों को राष्ट्रीय स्तर पर एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी चलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा उठाए जा रहे सवाल मोदी के खिलाफ कौन की ओर जाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी, मायावती, शरद पवार, एच.डी. देवेगौड़ा और राहुल गांधी जैसे कई नेता हैं, जिनमें प्रधानमंत्री बनने के गुण हैं।
81 वर्षीय सिन्हा ने आशा जताई कि अगर महागठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होता है तो भाजपा को हराने के लिए राज्य स्तर पर गठबंधन प्रभावी रहेंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने का विचार अभी आकार नहीं ले पाया है।
उन्होंने कहा, ऐसा लग रहा है कि शायद वे इसे अमल में नहीं ला रहे हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि चुनाव के करीब आने पर ऐसा कुछ हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
कई राज्यों में महागठबंधन बनाने के लिए विपक्षी दलों के साथ न आने के बारे में सवाल पूछने पर सिन्हा ने कहा, अलग-अलग लोगों का एकसाथ आना इतना आसान नहीं है और ये दल व्यक्तिपरक अलग-अलग पार्टियां हैं।
उन्होंने कहा, इसलिए उनका साथ आना इतना आसान नहीं है। इस बाबत कुछ प्रयास जरूर किए गए, लेकिन आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
उन्होंने कहा कि झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विपक्षी दल साथ आए हैं।
सिन्हा ने कहा, ऐसे बहुत से राज्य हैं, जहां वे साथ आए हैं। कई मुद्दे होंगे, क्योंकि उन्हें न केवल सीटों की संख्या पर, बल्कि विशेषरूप से किस सीट पर कौन-सी पार्टी रहेगी, इसपर भी सहमति बनानी होगी। लेकिन मुझे आशा है कि यह तथाकथित महागठबंधन अगर राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बनता है तो भाजपा को हराने के लिए राज्य स्तर पर गठबंधन प्रभावी रहेगा।
प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में प्रवेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश में मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा और कांग्रेस को मदद मिलेगी।