नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के बेटे विवेक डोवाल द्वारा दायर मानहानि मामले में दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश को समन भेजा।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने रमेश, पारस नाथ (द कारवां के मुख्य संपादक) और रिपोर्टर कौशल श्रौफ को 25 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा है।
विवेक पर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया अपानजनक पाए जाने पर अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद है।
अदालत 16 जनवरी को प्रकाशित एक लेख डी-कंपनीज के संबंध में विवेक डोवाल द्वारा दायर मानहानि मामले की सुनवाई कर रही थी।
विवेक डोवाल के अधिवक्ता ने डी.पी. सिंह ने अदालत को बताया कि लेख का शीर्षक अपने आप में अपमानपूर्ण है और लेखकों के दिमाग में विवेक तथा उनके परिवार के खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा किया है।
शिकायतकर्ता गवाह के रूप में गवाही दे रहे विवेक डोवाल ने अदालत को बताया था कि डी-कंपनी शब्द भारत के सर्वाधिक वांछित अपराधी दाऊद इब्राहिम के लिए उपयोग किया गया है।
अदालत ने कहा कि जिस प्रकार से इसे पेश किया गया है, इससे शिकायतकर्ता और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है तो यह तथ्य ठोस प्रतीत होता है।
अदालत ने विवेक के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें दिखाया कि कैसे उस लेख तथा रमेश के उस संवाददाता सम्मेलन में उनका श्रेय कम किया गया। कांग्रेस नेता रमेश ने संवाददाता सम्मेलन में उस लेख का उल्लेख किया था।
अदालत ने कहा, जहां तक संवाददाता सम्मेलन का सवाल है, उसमें शिकायतकर्ता के धन से विमुद्रीकृत रुपयों को नए नोटों में बदलने तथा धन शोधन के परोक्ष आरोप लगाए गए हैं।
अदालत ने कहा, यह आगे विमुद्रीकरण से जोड़ता है और एक मामला दर्ज करने की कोशिश करता है कि शिकायतकर्ता का धन विमुद्रीकरण की प्रकिया से लाभ पहुंचाने में शामिल हो सकता है।
अदालत ने कहा कि इस तथ्य को विवेक डोवाल ने अपने सबूतों से गलत साबित कर दिया।
अदालत ने कहा, अवमाननापूर्ण बयान प्रकाशित किए गए और व्यापक रूप से पढ़े गए।
अदालत ने यह भी माना कि गवाह- विवेक डोवाल की व्यापारिक साझेदार ने बयान दर्ज कराया कि इन आरोपों के कारण कंपनी और उसके निवेशकों के बीच काफी विवाद रहा जिससे कंपनी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े।