नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को निवेशकों के एक समूह की एक याचिका रद्द कर दी जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही 10,000 करोड़ रुपये के शारदा चिट फंड घोटाले की जांच अदालत की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई थी।
निवेशकों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा सबूतों को नष्ट करने और 2013 से चल रही जांच के पूरे होने में देरी का हवाला देने के बाद प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम कोई भी आदेश देने के इच्छुक नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल की कंपनी शारदा ग्रुप द्वारा पोंजी निवेश योजनाओं के माध्यम से ना सिर्फ राज्य बल्कि पड़ोसी राज्यों ओडिशा, असम, बिहार और झारखंड के लगभग 25 लाख निवेशकों से रुपये इकट्ठे करने का घोटाला 10,000 करोड़ रुपये का है।
शीर्ष अदालत ने पांच फरवरी को कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को जांच में सीबीआई का सहयोग करने का आदेश दिया था।
राजीव कुमार ममता बनर्जी सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख थे जिसने शारदा घोटाले की जांच एक साल तक की थी।
सीबीआई ने राजीव कुमार से तीसरी बार सोमवार को पूछताछ की।
अंतर्राज्यीय घोटाले के कारण अदालत ने नौ मई 2014 को इस घोटाले के सभी मामले सीबीआई को हस्तांतरित कर दिए थे।
घोटाले की रकम और इसके अंतर्राज्यीय स्तर पर प्रभाव डालने पर इशारा करते हुए अदालत ने नौ मई 2014 को कहा था, इतनी बड़ी रकम होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन की संभावना को नजरंदाज नहीं किया जा सकता और इसकी प्रभावशाली तरीके से जांच किए जाने की जरूरत है।