नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय आठ जनवरी को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा तूतीकोरीन में स्टरलाइट के तांबा संयंत्र पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के फैसले से पहले की यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को चुनौती देनी वाली वेदांता समूह की याचिका पर सुनवाई करेगा।
एनजीटी ने संयंत्र को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसपर मद्रास उच्च न्यायालय ने एनजीटी के फैसले से पहले की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
वरिष्ठ वकील सी.ए. सुंदरम के शीघ्र सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किए जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले को मंगलवार (आठ जनवरी) के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
सुंदरम ने अदालत को बताया कि वे हरित अधिकरण के समक्ष सफल हुए थे।
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने 21 दिसंबर 2018 को एनजीटी के 15 दिसंबर के फैसले से पहले की मौजूदा यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया था। एनजीटी ने सरकार द्वारा संयंत्र को बंद करने के फैसले को निरस्त कर दिया था। सरकार ने अपरिवर्तनीय जल प्रदूषण के कारण संयंत्र को बंद किया था।
उच्च न्यायालय ने वेदांता द्वारा कॉपर स्मेलटिंग प्लांट को फिर से खोलने के लिए किसी भी प्रकार का कदम उठाने पर रोक लगा दी थी।
21 जनवरी 2019 तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से संयंत्र को फिर से खोलने के लिए एनजीटी के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के इरादे के बारे में बताने को कहा था।
उच्च न्यायालय का यथास्थिति बनाए रखने का आदेश तूतीकोरिन निवासी फातिमा की याचिका पर आया था। फातिमा ने संयंत्र को फिर से खोलने के विरोध में याचिका दाखिल की थी।
तमिलनाडु सरकार ने दो जनवरी को तूतीकोरिन संयंत्र को फिर से खोलने के एनजीटी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसने बताया था कि संयंत्र से जल प्रदूषण हो रहा है।
राज्य सरकार ने जोर देकर कहा कि उसने एनजीटी के समक्ष पर्याप्त सबूत दाखिल किए हैं ताकि संयंत्र के संचालन से भू जल के प्रदूषित होने को दर्शाया जा सके।