नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बजाज ऑटो की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। बजाज ऑटो ने अपनी याचिका में शहर में तिपहिया वाहनों के लिए जारी होने वाले परमिट की संख्या पर लगाई गई सीमा को हटाने की मांग की है।
बजाज के वकील ने अदालत के समक्ष दलील दी कि दिल्ली में तिपहिया वाहनों के पंजीकरण पर लगी सीमा को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब इन वाहनों में सीएनजी का इस्तेमाल हो रहा है और अब ये वाहन प्रदूषण नहीं फैला रहे हैं।
यह सीमा शीर्ष अदालत ने 1997 के आदेश से तय की थी, क्योंकि तिपहिया वाहनों की प्रौद्योगिकी तब टू-स्ट्रोक व बेहद प्रदूषणकारी थी।
वकील ने तर्क दिया कि यह सीमा वर्तमान तिपहिया वाहनों पर लागू नहीं होती, जो बीएस फोर मानदंडों का पालन करते है और सीएनजी ईंधन आधारित हैं।
अदालत ने फरवरी में पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) से तिपहिया वाहनों के परमिट की संख्या को बढ़ाने के मुद्दे की जांच करने व रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
ईपीसीए ने सीमा के खिलाफ तर्क दिया और कहा कि इससे लेन-देन की कीमत में बढ़ोतरी हुई, जिससे यह वाहन सेगमेंट फाइनेंसरों व ऑटो यूनियनों के हाथों में चला गया है।
ईपीसीए ने रिपोर्ट में कहा, यह स्पष्ट है कि तिपहिया वाहन सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के अभिन्न अंग हैं। ये वाहन किफायती साझा आवागमन की सुविधा देते हैं। आज यह साफ है कि इन वाहनों की कमी की वजह से निजी वाहन, कार व दोपहिया वाहन बढ़ रहे हैं।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दलीलों को सुनने के बद दिल्ली सरकार से दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
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