नई दिल्ली : तमिलनाड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अपराध शाखा के प्रमुख जफ्फार सैत को बड़ी राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका गुरुवार रद्द कर दी।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने ए. शंकर द्वारा अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी के माध्यम से की गई अपील खारिज कर दी।
शंकर ने अपनी याचिका में सैत के खिलाफ आरोपपत्र रद्द करने के मद्रास उच्च न्यायालय के 23 मई के निर्णय को खारिज करने की मांग की।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला अस्थिर है। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही में वादी को पक्ष बनाए बिना ही आदेश दे दिया गया।
उच्च न्यायालय ने इस आधार पर मामला रद्द कर दिया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2013 में मामले की कार्यवाही आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था और अभी भी यह मामला लगभग छह साल से लंबित है।
यह मामला आवासीय प्लॉट के आवंटन के दौरान तमिलनाडु आवासीय बोर्ड (टीएनएचबी) को हुए कथित नुकसान से संबंधित है। यह मामला 23 जुलाई 2011 में शिकायतकर्ता शंकर ने दायर किया था।
सतर्कता और भ्रष्टाचार-रोधी निदेशालय ने इस मामले की जांच की। याचिकाकर्ता लगातार यह बात कहता आया है कि सैत ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया था और उन पर अभियोग के लिए किसी पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है।