कैनबरा : ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को एक विधेयक को रोकने के लिए प्रचार किया। यह विधेयक अपतटीय केंद्रों में बीमार शरणार्थियों को देश में इलाज कराने की इजाजत देगा।
ऑस्ट्रेलियाई संसद में मंगलवार को इस विधेयक पर मतदान हो सकता है। मॉरिसन के मुताबिक, विधेयक सरकार से नियंत्रण ले लेगा और एक दुखी संसार का सूत्रपात करेगा।
सिडनी मोर्निंग हेराल्ड ने मॉरिसन के हवाले से कहा, विधेयक के साथ समस्या यह है कि वह सरकार से नियंत्रण ले लेता है और ऐसे लोंगों से करार करता है जिनकी वैसी दिलचस्पी या जिम्मेदारी नहीं होती है। ।
नौरु और मानुस द्वीपसमूह स्थित हिरासत केंद्रों पर नावों से आए शरणार्थियों को ऑस्ट्रेलिया ने भेज दिया है।
देश की कठोर आव्रजन नीति की लगातार आलोचना होती रही है। नौरु के हिरासत केंद्र पर बच्चों व महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और यातना के काफी आरोप लगे हैं।
पिछले साल विपक्षी लेबर पार्टी के समर्थन से सीनेट में पारित प्रस्ताव की आलोचना करते हुए मॉरिसन ने कहा कि इससे सुमद्र में होने वाली मौतों की संख्या बढ़ेगी।
उन्होंने कहा, वे किससे खेल रहे हैं, उन्हें इसके परिमाणों का अंदाजा ही नहीं है। ये फिर से विषाद की एक दुनिया बनाएंगे।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित बदलाव के अंतर्गत चिकित्सकों के पास शरणार्थियों को इलाज के लिए नौरु और मानुस से ऑस्ट्रेलिया भेजने का अधिकार होगा। हालांकि आव्रजन मंत्री एक स्वतंत्र पैनल से चिकित्सा की समीक्षा करने के लिए कह सकते है और उनके पास इसे खत्म करने का अधिकार होगा।
रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर पेन ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। इस बीच हजारों चिकित्सकों ने विधेयक को पारित करने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने इसे एक समझदारी भरा समाधान करार दिया, जो चिकित्सकों को अपने मरीजों के इलाज की इजाजत देगा जो नौरु और मानुस पर उपलब्ध नहीं है।