नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार जेट एयरवेज की स्थिति पर करीब से निगरानी कर रही है, यहां तक कि वित्तीय रूप से कमजोर एयरलाइंस को बचाने के लिए भी बातचीत जारी है।
सरकार का रुख विशेष रूप से मायने रखता है, क्योंकि कर्जदाता एयरलाइन के प्रमुख हितधारकों से कंपनी के कर्ज के एक हिस्से को शेयर के रूप में बदलने के एक प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर बातचीत कर रहे हैं।
वाणिज्य व उद्योग व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रभु ने आईएएनएस से कहा, सरकार करीब से स्थिति पर नजर रख रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या एतिहाद एयरवेज सहित बैंकरों, प्रबंधन व शेयरधारकों के बीच प्रस्तावित सौदे के लिए मंत्रालय से अपेक्षित अनुमोदन की जरूरत है? उन्होंने कहा कि अगर जरूरत होगी तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
अगर पर्याप्त स्वामित्व व प्रभावी नियंत्रण मानदंडों को पूरा किया जा रहा है तो मंत्रालय एयरलाइन के सुरक्षित परिचालन व निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने डीजीसीए द्वारा पारित एयरलाइंस के उड़ान कार्यक्रमों के पालन की निगरानी के लिए उचित तंत्र स्थापित किया है।
वर्तमान में अपनी खराब वित्तीय स्थिति के कारण एयरलाइन को 25 से ज्यादा विमानों को हटाने को बाध्य होना पड़ा है और इसका 85 उड़ानों पर असर पड़ा है।
एयरलाइन को इसके वित्तीय बाध्यताओं से राहत देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), जो करदाताओं के एक संघ का नेतृत्व करता है, वह एयरलाइन के प्रमुख हितधारकों से प्रस्ताव-बैंक की अगुवाई में प्रोविजनल रेजलूशन प्लान- को स्वीकारने के लिए बातचीत कर रहा है।
बीते महीने, जेट के शेयरधारकों ने बीएलपीआरपी को मंजूरी दी थी, जिसके हिस्से के तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता एयरलाइन के सबसे बड़ी इक्विटी के मालिक हो जाएंगे।
जेट एयरवेज बोर्ड के बीएलपीआरपी को 14 फरवरी को मंजूरी देने के बाद शेयरधारकों की मंजूरी आई।
कंपनी ने बीएसई में 14 फरवरी को एक नियामक दर्ज करते हुए कहा, बीएलपीआरपी ने वर्तमान में इक्विटी इन्फ्यूजन, ऋण पुनर्गठन, बिक्री और पट्टे या विमान की पुनर्वित्त या अन्य चीजों को मिलाकर 8,500 करोड़ रुपये के फंडिंग गैप का अनुमान लगाता है।
निजी वाहक के एक जनवरी को बैंकों की कर्ज पुनर्भुगतान, ब्याज व किश्तों की अदायगी में चूक की, इसके बाद रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने एयरलाइन की लघु और दीर्घकालिक दोनों ऋण सुविधाओं की रैंक घटा दी।