नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) के तीन बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की कार्यवाही पर रोक लगा दी। तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी.धनपाल ने इन अन्नाद्रमुक विधायकों को बागी पार्टी नेता टी.टी.वी. दिनाकरण का समर्थन करने के लिए नोटिस जारी किया था।
याचिका में आरोप लगाया गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने मनमाने तरीके से कार्रवाई की। बीते सप्ताह शीर्ष अदालत तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष द्वारा तीन अन्नाद्रमुक विधायकों को अयोग्य करार देने के खिलाफ द्रमुक की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुई थी। इन तीन अन्नाद्रमुक विधायकों ने अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) संस्थापक दिनाकरण का समर्थन किया था।
विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल ने 30 अप्रैल को ए.प्रभु (कल्लाकुरुची निर्वाचन क्षेत्र), रथिनासबापथी (अरन्थांगी) व वी.टी.कलाईसेल्वन (विरुधाचलम) को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए स्पष्टीकरण मांगा।
यह कार्रवाई सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की एक याचिका के बाद की गई।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) प्रमुख एम.के.स्टालिन ने 30 अप्रैल को विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए विधानसभा सचिव को एक पत्र भेजा और धनपाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया।
द्रमुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आश्चर्य जताया कि कैसे विधानसभा अध्यक्ष तीन अन्नाद्रमुक विधायकों की अयोग्यता को लेकर नोटिस जारी कर सकते हैं, जबकि वह खुद अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं।
इस बीच तमिलनाडु के मत्स्य पालन मंत्री डी.जयकुमार ने संवाददाताओं से चेन्नई में कहा कि शीर्ष अदालत ने अपना फैसला नहीं सुनाया है, बल्कि एक स्थगन आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि रोक को हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे और अदालत द्वारा जारी नोटिस का जवाब दाखिल किया जाएगा।