नई दिल्ली : उच्च सदन में लगातार हंगामे से नाराज राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि सदन के प्रभावी तरीके से संचालन के लिए यह सामूहिक विवेक पैदा करने का वक्त है।
राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सत्रावसान पर नायडू ने कहा, दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि राज्यसभा का यह संक्षिप्त व महत्वपूर्ण बजट सत्र एक बार फिर बेकार गया। यह गंभीर चिंता की बात है कि पिछले कुछ साल से सदन को नहीं चलने देने की जो परिपाटी चल रही थी उसे मजबूती मिली जो संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है।
उन्होंने कहा, सदन के सभी वर्गो के लिए यह सामूहिक विवेक विकसित करने का वक्त है, जिससे सदन का प्रभावी तरीके से संचालन हो सके और इस गरिमामय सदन को आगे कोई क्षति न पहुंचे।
नायडू ने कहा कि 2014 से राज्यसभा के 18 सत्रों का संचालन हुआ जिनमें सदन की 329 बैठकें हुईं और 154 विधेयक पारित किए गए।
उन्होंने कहा, इस तरह दो बैठकों में एक से भी कम विधेयक पास हुए। इस दौरान जितने विधेयक पारित हुए वे 2009-14 के दौरान पारित हुए 188 विधेयक से 34 कम हैं। 2004-09 में पारित हुए 251 विधेयक पारित हुए थे।
नायडू ने कहा कि उपलब्ध समय और उसके उपयोग के मामले में जून 2014 से उच्च सदन की उत्पादकता सिर्फ 60 फीसदी रही है।