नई दिल्ली : मांग में नरमी की समस्या से जूझ रही रियल स्टेट सेक्टर कंपनियों ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती का स्वागत किया है, मगर उनका कहना है कि क्षेत्र में सुधार इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक इस कटौती के फायदे का हस्तांतरण ग्राहकों तक किस प्रकार करते हैं।
प्रमुख ब्याज दर में कटौती का मकसद ग्राहकों के कर्ज की ईएमआई में कमी लाना और उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया करवाना है, लेकिन विगत में बैंकों द्वारा इस दिशा में अरुचि चिंता की बड़ी वजह रही है।
प्रमुख ब्याज दर में कटौती का हस्तांतरण ग्राहकों के लिए सुनिश्चित करना आरबीआई के लिए एक बड़ी चुनौती है।
ब्याज दर में कटौती के फैसले के बाद एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस साल फरवरी और अप्रैल में ब्याज दर में कुल 50 आधार अंकों की कटौती का नए कर्ज की दर्ज के लिए भारित औसत ब्याज दर 21 आधार अंक थी।
ब्याज दर में कटौती पर एनारॉक प्रपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह जमीनी स्तर पर भी दिखे क्योंकि विगत दिनों इस प्रकार के हस्तांतरण के प्रमाण बहुत कम मिले हैं।
जेएलएल इंडिया के कंट्री हेड व सीईओ रमेश नायर ने कहा कि प्रमुख ब्याज दर में कटौती का सीधा असर रियल स्टेट सेक्टर में देखने को मिलेगा बशर्ते इसका हस्तांतरण ग्राहकों तक हो।