लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के परिणामस्वरूप कानपुर में 1984 के सिख दंगों की जांच के लिए चार सदस्यों का विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों के अनुसार, पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल के नेतृत्व वाली एसआईटी को पुराने मामलों की जांच सौंपी गई है। इन मामलों में शुरुआती जांच के बाद अरोपियों को मुक्त कर दिया गया था और पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर गठित एसआईटी राज्य सरकार को छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
मनजीत सिंह व अन्य द्वारा दाखिल एक याचिका के आधार पर शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को एसआईटी गठित करने को कहा है।
पूर्व डीजीपी के अतिरिक्त एसआईटी के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश सुभाष चंद्र अग्रवाल, सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक (अभियोजन) योगेश्वर कृष्ण श्रीवास्तव शामिल हैं।
कानपुर पुलिस प्रमुख इसके सदस्य सचिव होंगे।
एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि एसआईटी पहले उस अवधि के दौरान किए गए जघन्य अपराधों की जांच करेगी और अगर जरूरत होगी तो आगे सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत जांच की जाएगी।
एक अधिकारी ने कहा कि 1984 के दंगों के दौरान बहुत से सिखों की सड़कों पर नृशंस हत्या कर दी गई थी और बहुत से मामले नजीराबाद व बजारिया व अन्य पुलिस थानों में दर्ज हैं।