प्रदीप शर्मा
राज्यसभा में कोरोना महामारी पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के आनंद शर्मा ने सरकार पर जोरदार निशाना साधा. आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की मौत की जानकारी नहीं है. ये देश के लिए दुर्भाग्य की बात है।
आनंद शर्मा ने कहा कि अचानक लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को नुकसान हुआ. कई मजदूरों की जान गई. वो बेरोजगार हुए. सरकार ने इसी सत्र में कहा कि प्रवासी मजदूरों की मौत जानकारी नहीं है, इस वजह से कोई मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा. कांग्रेस सांसद ने कहा कि ये देश के लिए दुर्भाग्य की बात है. सरकार के पास क्यों आंकड़े नहीं है. हर राज्य के पास आंकड़े हैं. मुआवजा दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि मैं चाहता हूं कि आगे के लिए प्रवासी मजदूरों का विवरण रखने के लिए एक नेशनल डेटा बेस बनाया जाए. आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार बताए कि लॉकडाउन से कितना फायदा हुआ और कितना नुकसान हुआ।
कल स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के निर्णय ने लगभग 14 से 29 लाख कोरोना के मामलों और 37,000-78,000 मौतों को रोका. आनंद शर्मा ने इस पर कहा कि सदन को सूचित किया जाना चाहिए कि वो वैज्ञानिक आधार क्या है जिसके आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
देश में कोरोना महामारी के बीच संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। विपक्ष की ओर से कल सरकार से प्रवासी मज़दूरों की मौत पर सवाल किया गया। इस पर सरकार की ओर से हैरान करने वाला जवाब आया है। विपक्ष ने सरकार से पूछा कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? श्रम मंत्रालय ने इस सवाल पर लिखत जवाब में कहा कि ‘सरकार के पास आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है’।
मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है? केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है। ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है
कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह ने कहा यह हैरानजनक है कि श्रम मंत्रालय कह रहा है कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत पर कोई डेटा नहीं है, ऐसे में मुआवजे का कोई सवाल नहीं उठता है। कभी-कभी मुझे लगता है कि या तो हम सब अंधे हैं या फिर सरकार को लगता है कि वो सबका फायदा उठा सकती है।’
सरकार के इस बयान पर राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर निशाना साधा-‘मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियां गयीं। तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हां मगर दुख है सरकार पर असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे ख़बर ना हुई’
आपको बता दें कि कोरोनावायरस की वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से करोड़ों प्रवासी मज़दूर शहर छोड़ अपने-अपने गांव को लौटे, कोई पैदल चला तो कोई साईकिल से हज़ारों किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ा। इस दौरान भूख प्यास से कई मज़दूरों ने अपने जान गवां दी। कोई ट्रेन में मरा मिला तो कोई पटरी पर कटा मिला। अब सरकार कह रही है कि उन्हें नहीं पता की कितने मज़दूरों की मौत हुई उनके पास आंकड़े नहीं है। न बेरोज़गारी के आंकड़े हैं न मज़दूरों के पलायन के न उनकी मौत के। जो आंकड़े हमारी सरकार के पास हैं उन्हें वह दिखाती नहीं। एक तरह से सरकार इस मुद्दे से पल्ला झाड़ती हुई दिखाई दे रही हैं।