नई दिल्ली :जम्मू एवं कश्मीर में अलगाववादी संगठनों और आतंकवादियों को आर्थिक मदद करने के एक मामले में जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को दिल्ली की एक अदालत ने 22 अप्रैल तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया है।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश स्याल ने एनआईए को 12 दिनों तक मलिक से पूछताछ की अनुमति दे दी।
एक अधिकारी ने कहा कि मलिक को जम्मू के कोट बालवाल जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेजे जाने के अगले दिन बुधवार को एनआईए ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने यह कदम जम्मू में विशेष एनआईए अदालत के उस आदेश के बाद उठाया है, जिसमें मलिक को हिरासत में लेकर पूछताछ की अनुमति दी गई थी।
उन्होंने कहा कि मलिक को मंगलवार शाम एयर इंडिया के विमान से जम्मू से दिल्ली लाया गया था।
मलिक को सात मार्च को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत जम्मू जेल में डाल दिया गया था। पीएसए के अंतर्गत किसी व्यक्ति को दो साल तक बिना किसी अदालती दखल के हिरासत में रखा जा सकता है।
मलिक पर सीबीआई में दो मामले दर्ज हैं और उनके संगठन जेकेएलएफ पर केंद्र सरकार ने पिछले महीने प्रतिबंध लगा दिया था। मलिक पर ये दोनों मामले 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण और 1990 में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या से जुड़े हैं।
एजेंसी ने कश्मीर घाटी में हिंसा भड़कने के बाद मई 2017 में आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने का मामला दर्ज किया था।
एजेंसी ने अबतक कई अलगाववादी नेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें आफताब हिलाली शाह उर्फ शाहिद-उल-इस्लाम, अयाज अकबर खांडे, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, अल्ताफ अहमद शाह, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल और बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्ला प्रमुख रूप से शामिल हैं।
अल्ताफ अहमद शाह जम्मू एवं कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की वकालत करने वाले सैयद अली गिलानी का दामाद है।
शहीद-उल-इस्लाम फारूक का सहयोगी और खांडे गिलानी की अगुआई वाले हुर्रियत का प्रवक्ता है। कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली को अगस्त 2017 में गिरफ्तार किया गया था।
एनआईए ने 18 जनवरी, 2018 को 12 लोगों के खिलाफ एक आरोप-पत्र दाखिल किया था, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के नाम शामिल हैं।
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